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Devanagari (Hindi / Sanskrit)  ||  English

शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम्


नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै न_काराय नमः शिवाय ॥१॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै म_काराय नमः शिवाय ॥२॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द_
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शि_काराय नमः शिवाय ॥३॥

वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य_
मूनीन्द्रदेवार्चितशेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै व_काराय नमः शिवाय ॥४॥

यज्ञस्वरूपाय {यक्षस्वरूपाय} जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै य_काराय नमः शिवाय ॥५॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥६॥



निर्वाण षट्कम्


शिवोऽहं शिवोऽहं, शिवोऽहं शिवोऽहं, शिवोऽहं शिवोऽहं

मनो बुध्यहंकार चित्तानि नाहं
न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राणनेत्रे ।
न च व्योम भूमिर्-न तेजो न वायुः
चिदानंद रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ 1 ॥

न च प्राण संज्ञो न वैपंचवायुः
न वा सप्तधातुर्-न वा पंचकोशाः ।
नवाक्पाणि पादौ न चोपस्थ पायू
चिदानंद रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ 2 ॥

न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहो
मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः ।
न धर्मो न चार्धो न कामो न मोक्षः
चिदानंद रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ 3 ॥

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं
न मंत्रो न तीर्थं न वेदा न यज्ञः ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता
चिदानंद रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ 4 ॥

न मृत्युशंका न मे जाति भेदः
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः ।
न बंधुर्-न मित्रं गुरुर्नैव शिष्यः
चिदानंद रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ 5 ॥

अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो
विभूत्वाच्च सर्वत्र सर्वेंद्रियाणाम् ।
न वा बंधनं नैवर्-मुक्ति न बंधः ।
चिदानंद रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम् ॥ 6 ॥

शिवोऽहं शिवोऽहं, शिवोऽहं शिवोऽहं, शिवोऽहं शिवोऽहं



लिंगाष्टकम्


ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं
निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 1 ॥

देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं
कामदहन करुणाकर लिंगम् ।
रावण दर्प विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 2 ॥

सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् ।
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 3 ॥

कनक महामणि भूषित लिंगं
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।
दक्षसुयज्ञ विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 4 ॥

कुंकुम चंदन लेपित लिंगं
पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।
संचित पाप विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 5 ॥

देवगणार्चित सेवित लिंगं
भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् ।
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 6 ॥

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं
सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् ।
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 7 ॥

सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् ।
परात्परं (परमपदं) परमात्मक लिंगं
तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ 8 ॥

लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥



बम बम भोला


बम बम भोला (7) हे भोला
नटराज (7) हे भोला
नर्तनशीला (7) हे भोला
गंगाधर (7) हे भोला
चन्द्रशेखर (7) हे भोला
अति रुद्र महारुद्र (3) अति रुद्र हे भोला


शिव पंचाक्षरि स्तोत्रम्


ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः ॐ
ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः ॐ

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्मांगरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय
तस्मै "न" काराय नमः शिवाय ॥ 1 ॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय
नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मंदार मुख्य बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै "म" काराय नमः शिवाय ॥ 2 ॥

शिवाय गौरी वदनाब्ज बृंद
सूर्याय दक्षाध्वर नाशकाय ।
श्री नीलकंठाय वृषभध्वजाय
तस्मै "शि" काराय नमः शिवाय ॥ 3 ॥

वशिष्ठ कुंभोद्भव गौतमार्य
मुनींद्र देवार्चित शेखराय ।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय
तस्मै "व" काराय नमः शिवाय ॥ 4 ॥

यज्ञ स्वरूपाय जटाधराय
पिनाक हस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगंबराय
तस्मै "य" काराय नमः शिवाय ॥ 5 ॥

पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिव सन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥


नमो नमो जी शंकरा


जय हो जय हो शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
आदि देव शंकरा
हे शिवाय शंकरा
तेरे जाप के बिना
भोलेनाथ शंकरा
चले ये साँस किस तरह
हे शिवाय शंकरा

मेरा कर्म तू ही जाने
क्या बुरा है क्या भला
तेरे रास्ते पे मैं तो
आँख मूँद के चला
तेरे नाम की, जोत ने
सारा हर लिया तमस मेरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा

सृष्टि के जनम से भी
पहले तेरा वास था
ये जग रहे या ना रहे
रहेगी तेरी आस्था

क्या समय, क्या प्रलय
दोनों में तेरी महानता
महानता, महानता

सीपियों की ओट में
भोलेनाथ शंकरा
मोतियाँ हो जिस तरह
हे शिवाय शंकरा
मेरे मन में शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
तू बसा है उस तरह
हे शिवाय शंकरा

मुझे भरम था जो है मेरा
था कभी नहीं मेरा
अर्थ क्या निरर्थ क्या
जो भी है सभी तेरा
तेरे सामने, है झुका
मेरे सर पे हाथ रख तेरा
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा

चन्द्रमा ललाट पे
भस्म है भुजाओं में
वस्त्र बाघ छाल का
है खड़ाऊ पाँव में

प्यास क्या, और तुझे
गंगा है तेरी जटाओं में
जटाओं में, जटाओं में

दूसरों के वास्ते
भोलेनाथ शंकरा
तू सदैव ही जिया
हे शिवाय शंकरा
माँगा कुछ कभी नहीं
भोलेनाथ शंकरा
तूने सिर्फ है दिया
हे शिवाय शंकरा

समुद्र मंथन का
था समय जो आ पड़ा
द्वंद दोनों लोक में
विशामृत पे था छिड़ा
अमृत सभी में बाँट के
प्याला विष का तूने खुद पिया

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा

नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
जय त्रिलोकनाथ शम्भू
हे शिवाय शंकरा
नमो नमो जी शंकरा
भोलेनाथ शंकरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा
रुद्रदेव हे महेश्वरा


ॐ जय शिव ओंकारा


ॐ जय शिव ओंकारा स्वामी हर शिव ओंकारा
ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अर्ध्नागी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा.

एकानन चतुरानन पंचांनन राजे
हंसासंन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अतिसोहें
तीनों रुप निरखता त्रिभुवन जन मोहें
ॐ जय शिव ओंकारा…

अक्षमाला, बनमाला, रुण्ड़मालाधारी
चंदन, मृदमग सोहें, भाले शशिधारी
ॐ जय शिव ओंकारा.

श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें
सनकादिक, ब्रम्हादिक, भूतादिक संगें
ॐ जय शिव ओंकारा…

कर के मध्य कमड़ंल चक्र त्रिशूल धरता
जगकर्ता, जगभर्ता, जगसंहारकर्ता
ॐ जय शिव ओंकारा.

ब्रम्हा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
प्रवणाक्षर के मध्यें ये तीनों एका
ॐ जय शिव ओंकारा.

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावें
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें
ॐ जय शिव ओंकारा.


बिल्वाष्टकम्


त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् ।
त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
तवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः ।
कांचनं शैलदानेन एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनम् ।
प्रयागे माधवं दृष्ट्वा एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

इंदुवारे व्रतं स्थित्वा निराहारो महेश्वराः ।
नक्तं हौष्यामि देवेश एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

रामलिंग प्रतिष्ठा च वैवाहिक कृतं तथा ।
तटाकानिच संधानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

अखंड बिल्वपत्रं च आयुतं शिवपूजनम् ।
कृतं नाम सहस्रेण एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

उमया सहदेवेश नंदि वाहनमेव च ।
भस्मलेपन सर्वांगं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

सालग्रामेषु विप्राणां तटाकं दशकूपयोः ।
यज्ञ्नकोटि सहस्रस्य एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

दंति कोटि सहस्रेषु अश्वमेधशतक्रतौ च ।
कोटिकन्या महादानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

बिल्वाणां दर्शनं पुण्यं स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोर पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

सहस्रवेद पाटेषु ब्रह्मस्तापनमुच्यते ।
अनेकव्रत कोटीनां एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

अन्नदान सहस्रेषु सहस्रोपनयनं तधा ।
अनेक जन्मपापानि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥

xविकल्प संकर्पण


त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम् ।
त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 1 ॥

त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः ।
तवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 2 ॥

दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम् ।
अघोरपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 3 ॥

सालग्रामेषु विप्रेषु तटाके वनकूपयोः ।
यज्ञ्नकोटि सहस्राणां एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 4 ॥

दंतिकोटि सहस्रेषु अश्वमेध शतानि च ।
कोटिकन्याप्रदानेन एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 5 ॥

एकं च बिल्वपत्रैश्च कोटियज्ञ्न फलं लभेत् ।
महादेवैश्च पूजार्थं एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 6 ॥

काशीक्षेत्रे निवासं च कालभैरव दर्शनम् ।
गयाप्रयाग मे दृष्ट्वा एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 7 ॥

उमया सह देवेशं वाहनं नंदिशंकरम् ।
मुच्यते सर्वपापेभ्यो एकबिल्वं शिवार्पितम् ॥ 8 ॥

इति श्री बिल्वाष्टकम् ॥


Natraj Stuti


SAT SRISHTI TAANDAV RACHAITAA NATRAAJ RAAJ NAMOH NAMAHH
HEY AADYA GURU SHANKAR PITA NATRAAJ RAAJ NAMO NAMAHH

GAMBHIR NAAD MRIDANGANAAA DHABAKEY UREY BRHAMAADMAA
NIT HOT NAAD PRACHANDANAA NATRAAJ RAAJ NAMO NAMAHH

SHIR GYAAN GANGA CHANDRAMAA CHID BRAHMYA JYOTI LALAATAMAA
VISH NAAG MAALA KANTHMAA NATRAAJ RAAJ NAMO NAMAHH !! SAT SRISHTI !!

TAVSHAKTI VAAMAANGEY STHITAA HEY CHANDRIKA APARAAJITAA
CHAHU VED GAAVEY SANHITAA NATRAAJ RAAJ NAMO NAMAH !! SAT SRISHTI !!

SAT SRISHTI TAANDAV RACHAITAA NATRAAJ RAAJ NAMOH NAMAHH
HEY AADYA GURU SHANKAR PITA NATRAAJ RAAJ NAMO NAMAHH


शिव तांडव स्तोत्रम्


जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेवलंब्य लंबितां भुजंगतुंगमालिकाम् ।
डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥ 1 ॥

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिंपनिर्झरी-
-विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।
धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥ 2 ॥

धराधरेंद्रनंदिनीविलासबंधुबंधुर
स्फुरद्दिगंतसंततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगंबरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥ 3 ॥

जटाभुजंगपिंगलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदंबकुंकुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदांधसिंधुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥ 4 ॥

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।
भुजंगराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबंधुशेखरः ॥ 5 ॥

ललाटचत्वरज्वलद्धनंजयस्फुलिंगभा-
-निपीतपंचसायकं नमन्निलिंपनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसंपदेशिरोजटालमस्तु नः ॥ 6 ॥

करालफालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनंजयाधरीकृतप्रचंडपंचसायके ।
धराधरेंद्रनंदिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
-प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥ 7 ॥

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।
निलिंपनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिंधुरः
कलानिधानबंधुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥ 8 ॥

प्रफुल्लनीलपंकजप्रपंचकालिमप्रभा-
-विलंबिकंठकंदलीरुचिप्रबद्धकंधरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥ 9 ॥

अगर्वसर्वमंगलाकलाकदंबमंजरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृंभणामधुव्रतम् ।
स्मरांतकं पुरांतकं भवांतकं मखांतकं
गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥ 10 ॥

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमश्वस-
-द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालफालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदंगतुंगमंगल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचंडतांडवः शिवः ॥ 11 ॥

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिकस्रजोर्-
-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृष्णारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेंद्रयोः
समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥ 12 ॥

कदा निलिंपनिर्झरीनिकुंजकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललाटफाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् सदा सुखी भवाम्यहम् ॥ 13 ॥

इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥ 14 ॥

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः ॥ 15 ॥


नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय


ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ
ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ

रामेश्वराय शिव रामेश्वराय

हर हर भोले नमः शिवाय
गंगा धाराय शिव गंगा धाराय शिव
हर हर भोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ
ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ

जटा धाराय शिव जटा धाराय
हर हर भोले नमः शिवाय
सोमेश्वराय शिव सोमेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ
ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ

विश्वेश्वराय शिव विश्वेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाय
कोटेशवराय शिव कोटेशवराय
हर हर भोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ
ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ

महाकालेश्वराय महाकालेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाय
त्रियम्बकेश्वराय त्रियम्बकेश्वराय
हर हर भोले नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ
ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ

ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय

ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ
ॐ नमः शिवाय हर हर भोले नमः शिवाय ॐ


चंद्रशेखराष्टकम्


चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम् ।
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम् ॥

रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृंग निकेतनं
शिंजिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् ।
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै-रभिवंदितं
चंद्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥ 1 ॥

पंचपादप पुष्पगंध पदांबुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहम् ।
भस्मदिग्ध कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम् ॥ 2 ॥

मत्तवारण मुख्यचर्म कृतोत्तरीय मनोहरं
पंकजासन पद्मलोचन पूजितांघ्रि सरोरुहम् ।
देव सिंधु तरंग श्रीकर सिक्त शुभ्र जटाधरं
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम् ॥ 3 ॥

यक्ष राजसखं भगाक्ष हरं भुजंग विभूषणम्
शैलराज सुता परिष्कृत चारुवाम कलेबरम् ।
क्षेल नीलगलं परश्वध धारिणं मृगधारिणम्
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम् ॥ 4 ॥

कुंडलीकृत कुंडलीश्वर कुंडलं वृषवाहनं
नारदादि मुनीश्वर स्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् ।
अंधकांतक माश्रितामर पादपं शमनांतकं
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम् ॥ 5 ॥

भेषजं भवरोगिणा मखिलापदा मपहारिणं
दक्षयज्ञ विनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् ।
भक्ति मुक्ति फलप्रदं सकलाघ संघ निबर्हणं
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम् ॥ 5 ॥

भक्तवत्सल-मर्चितं निधिमक्षयं हरिदंबरं
सर्वभूत पतिं परात्पर-मप्रमेय मनुत्तमम् ।
सोमवारिन भूहुताशन सोम पाद्यखिलाकृतिं
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर पाहिमाम् ॥ 6 ॥

विश्वसृष्टि विधायकं पुनरेवपालन तत्परं
संहरं तमपि प्रपंच मशेषलोक निवासिनम् ।
क्रीडयंत महर्निशं गणनाथ यूथ समन्वितं
चंद्रशेखर चंद्रशेखर चंद्रशेखर रक्षमाम् ॥ 7 ॥

मृत्युभीत मृकंडुसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ
यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत् ।
पूर्णमायुररोगतामखिलार्थसंपदमादरं
चंद्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः ॥ 8 ॥


शिव मंगलाष्टकम्


भवाय चंद्रचूडाय निर्गुणाय गुणात्मने ।
कालकालाय रुद्राय नीलग्रीवाय मंगलम् ॥ 1 ॥

वृषारूढाय भीमाय व्याघ्रचर्मांबराय च ।
पशूनांपतये तुभ्यं गौरीकांताय मंगलम् ॥ 2 ॥

भस्मोद्धूलितदेहाय नागयज्ञोपवीतिने ।
रुद्राक्षमालाभूषाय व्योमकेशाय मंगलम् ॥ 3 ॥

सूर्यचंद्राग्निनेत्राय नमः कैलासवासिने ।
सच्चिदानंदरूपाय प्रमथेशाय मंगलम् ॥ 4 ॥

मृत्युंजयाय सांबाय सृष्टिस्थित्यंतकारिणे ।
त्रयंबकाय शांताय त्रिलोकेशाय मंगलम् ॥ 5 ॥

गंगाधराय सोमाय नमो हरिहरात्मने ।
उग्राय त्रिपुरघ्नाय वामदेवाय मंगलम् ॥ 6 ॥

सद्योजाताय शर्वाय भव्य ज्ञानप्रदायिने ।
ईशानाय नमस्तुभ्यं पंचवक्राय मंगलम् ॥ 7 ॥

सदाशिव स्वरूपाय नमस्तत्पुरुषाय च ।
अघोराय च घोराय महादेवाय मंगलम् ॥ 8 ॥

महादेवस्य देवस्य यः पठेन्मंगलाष्टकम् ।
सर्वार्थ सिद्धि माप्नोति स सायुज्यं ततः परम् ॥ 9 ॥